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Tuesday, July 29, 2014

राष्ट्रीय अधिकार

"थूकिये भाइयों और बहनों को सादर समर्पित"

थूक थूक थूक थूक
थूक थूक थूक थूक

इधर थूक उधर थूक
यहाँ थूक वहां थूक
जहाँ दिल करे और  जहाँ मुंह भरे
वहीँ पर तू थूक

थूक थूक थूक थूक
थूक थूक थूक थूक

ये कोने
ये सडकें
ये सरकारी बिल्डिंग
ये सुंदर से गमले
तुम्हारे लिए हैं
जहाँ दिल करे और  जहाँ मुंह भरे
वहीँ पर तू थूक

थूक थूक थूक थूक
थूक थूक थूक थूक

आक्थू पिचक थू के स्वरों का ये गुंजन
होठों पे सजता ये रक्ताभ चन्दन
कभी भी कहीं भी
अचानक ये आक्थू
सड़कों दीवारों पर सजती ये आक्थू
चलते मुसाफिर को कर देती हतप्रभ

जहाँ दिल करे और  जहाँ मुंह भरे
वहीँ पर तू थूक

थूक थूक थूक थूक
थूक थूक थूक थूक

चलते चालाते लकड़बम्ब (सुर्ती )लेके
चूना मिलाके हथेली रगड़ते
कड़क हाथों से फिर उसको फटकते
समवेत स्वरों में फिर पिचक थू के नारे लगाते
जहाँ दिल करे और  जहाँ मुंह भरे
वहीँ पर तू थूक

थूक थूक थूक थूक
थूक थूक थूक थूक


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