किस दौर में बैठे हैं हम।
न तुमको पता है न हमको पता है।
समय का मुसाफिर कहाँ जा रहा है।
न तुमको पता है न हमको पता है।
छिड़ी है बहस किस तरफ जा रहे हैं।
न तुमको पता है न हमको पता है।
समय की ये धारा कहाँ जा रही है।
न तुमको पता है न हमको पता है।
कहाँ से चले थे कहाँ आ गए अब।
न तुमको पता है न हमको पता है।
वो स्वर्णिम सवेरा फिर से आएगा क्या।
न तुमको पता है न हमको पता है।
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