CPM

Tuesday, July 29, 2014

दौर ए जहाँ


किस दौर में बैठे हैं हम।
न तुमको पता है न हमको पता है।

समय का मुसाफिर कहाँ जा रहा है।
न तुमको पता है न हमको पता है।


छिड़ी है बहस किस तरफ जा रहे हैं।
न तुमको पता है न हमको पता है।


समय की ये धारा कहाँ जा रही है।
न तुमको पता है न हमको पता है।


कहाँ से चले थे कहाँ आ गए अब।
न तुमको पता है न हमको पता है।


वो स्वर्णिम सवेरा फिर से आएगा क्या।
न तुमको पता है न हमको पता है।

No comments: