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Wednesday, October 29, 2014

धूप

दूर क्षितिज पर उगता सूरज
गुन गुन करती आती धूप
रिश्तों की गरमाइश में
तार पिरोती आती धूप
यहां वहां की ओछी बातें
कुछ समझी कुछ सोची बातें
कुछ छोटी कुछ मोटी बातें
कुछ उल्झी कुछ सुल्झी बातें
रिश्तों की ठंढ़ाईश में
गुन गुन जीवन लाती धूप
चिट्ठी पत्री की बातें
मान मनौवल की बातें
खाट खटोलों की बातें
समझ सयानों की बातें
दूर हुए रिश्ते नाते
अंधकार की बदली में
जीवन नृत्य कराती धूप
सूरज अस्ताचल को जाता
धीरे धीरे जाती धूप
जीवन के गहरे अर्थों को
समझाती है,  जाती धूप
जीवन की उत्तरवेला पर,
नवजीवन की राह दिखती,
चलती जाती ठंडी धूप।


​नवजीवन का आशय यहाँ देहावसान के पश्चात् नया शरीर धारण करने से है।