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Saturday, May 31, 2014

भगवान शिव को समर्पित

हे परम शिवम 
हे नाथरूप 
हे जगन्नाथ 
हे महाबली 
हे सत्यरूप 

हे परम शिवम 
हे रुद्ररूप 
हे महाकाल 
हे भद्ररूप 
हे अभयरूप 

हे परम शिवम 
हे प्रेमरूप 
हे शान्तरूप 
हे ज्ञानरूप 
हे शक्तिरूप 

हे परम शिवम 
हे करुणरूप 
हे क्षमारूप 
हे दयारूप 
हे मातृरूप 

हे बिंदु रूप 
शिव तुम ही हो।  

अच्छे दिन आने वाले हैं

अहंकार की थी पराकाष्ठा
उन्मत्त थे बोल 
शासन बना था कुशासन  
मेढ़ खाती थी खेत 
रखवाला बना था सेंधमार 
सीमाएं थी असुरक्षित 
शत्रु हो रहे थे प्रबल 
सर ऊंचे हो रहे थे बागिओं के। 
प्रजा थी परेशां 

एक आंधी सी आई 
छंटा तब कुहाषा 
काली बदली से निकला 
आशाओं का सूरज 
मन की उमंगों ने ली 
एक अंगड़ाई 
सुनहले दिनों की 
एक आभास आई। 

भगवान शिव को समर्पित

हे जगदीश्वर
हे अखिलेश्वर 
हे सर्वेश्वर 


हे ज्योति लिंग 
शिव तुम ही हो।

हे राजेश्वर 
हे देवेश्वर 
हे परमेश्वर

हे ज्योति लिंग 
शिव तुम ही हो।

हे ज्ञानेश्वर 
हे करुणेश्वर 
हे प्राणेश्वर 
हे ज्योति लिंग 
शिव तुम ही हो।

हे मक्केश्वर 
हे रामेश्वर 
हे सोमेश्वर 

हे ज्योति लिंग 
शिव तुम ही हो।

हे दया निधे 
हे कृपा निधे 
हे सुधा निधे 

हे ज्योति लिंग 
शिव तुम ही हो।

​हे अविरामी 
हे अभिरामी 
हे अविनाशी 

हे ज्योति लिंग 
शिव तुम ही हो।

हे निराकार
हे निर्विकार 
हे निरहंकार 

हे ज्योति लिंग 
शिव तुम ही हो।

आर्त ध्वनि को सुनने वाले 
प्राणसुधा बरसाने वाले 
श्वांस श्वांस में बसने वाले।  

हे ब्रह्मेश्वर 
हे ज्योति लिंग 
शिव तुम ही हो।

सत्यम शिवम् सुंदरम। 

अच्छे दिन आने वाले हैं

गहन तिमिर की घटाएं 
प्रतिकूल व्यवस्थाएं 
निगलने तो आतुर लोलुपताएं
कंटकीर्ण रास्ते 
चहुंओर घेरे विषधर भयंकर 
आस्तीनें में बैठे नाग जहरीले 

लहराया परचम फिर भी सुहाना 
आशाओं का दीपक हुआ फिर प्रज्ज्वलित 
सुनहरे दिनों का आकांक्षित हुआ मन 
उगने को है फिर से वैभव का सूरज 
सुखी मन सुखी जन है गर्वित ये भारत