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Wednesday, March 23, 2016

होली के हुरियारे

दस बारह लड़कों का ग्रुप था वो, सभी लगभग किशोरवय पर पहुँच रहे थे, होली के दिन का प्रोग्राम उन लोगों ने कई दिन पहले से ही फिक्स कर लिया था कि क्या क्या ऊधम काटेंगे और किसको किसको परेशान करेंगे कऊँचहा बुढ़वा बुढ़िया से लेकर पढ़ाकू लड़का सबकी लिस्ट बन गई। बस जी होली के दिन अपने लीडर की अगुवाई में इकट्ठा होना शुरू हुए। पहले तो आपस में ही रंग गुलाल से शुरू होकर कीच पांक फिर बूसट फार होली हुई, फिर दूसरों की टाहि में टोली निकल पड़ी। रंगे पुते लड़कों को देखकर गाँव के कुकुर पहले तो डर के भागे फिर लगे भूँकने, और थोड़ी देर बाद उनकी हिम्मत बढ़ी तो लडक़ों को चहेटने लगे, कई बार तो अइसा लगा की काट ही लेंगे।
भागभूग के लड़के सुदामा बाबा की पलान (झोपड़ी) में इकट्ठे हुए। बाबा खटिया पर गहरी नींद में सोए हुए थे, बाबा एक नम्बर के कऊँचहा आ गरिहा थे और इन लड़कों की हिट लिस्ट में थे। बाबा का पोपला मुँह खुला हुआ था, लड़कों को शैतानी सूझ गई। धीरे धीरे रंग बाबा के मुँह पर लगा दिए फिर सर में भी सूखा रंग डालने के बाद लीडर ससुरा एक मुट्ठा धूर उठा के बाबा के खुले हुए मुँह में डालने लगा, वो तो बाकि के लड़के उसे पकड़ लिए, लेकिन पकड़ते पकड़ते भी थोड़ी धूल बाबा में मुँह में पड़ ही गई। बस जी धूल जाते ही बाबा फ़ड़फ़ड़ा के उठ गए। बाबा का उठना था और लड़कों का भागना। और फिर जो  बाबा का मानस पाठ जो शुरू हुआ कि बाप रे बाप आकास के मय देवता भी कान बन्न करके पानी मांगने लगे। कई बार कई पुहुत (पीढ़ी) नेवतने के बाद जा के बाबा चुप हुए। पर जब जब बाबा का हाथ उनके मुँह पर जाता और उनको अपनी हथेली में रंग लगा दिख जाता, बाबा फिर से फूहर से फूहर गारी लेकर शुरू हो जाते। वो तो कहिये मुँह पर रंग पुता होने के कारण लड़कों को पहचान नहीं पाए, नहीं तो लड़कों के साथ साथ उनके घर वालों को भी पूरा खुराक मिलता। खैर लड़के तो अपना काम करके फरार हो चुके थे अपने अगले टारगेट की तरफ। अपने टारगेट पर पहुँचने से पहले लड़के फलाना सिंह के कोल्हाड़ा (गाँव में जहां पशु और पुरष वर्ग रहता है) में इकट्ठे हुए। वहां उनको जाने क्या मसखरी सूझी उन्होंने वहां खूंटे पर बंधे बैठे मरखहे बैल पर पानी फेंकने लगे। ठंडा पानी पड़ने से वो चिहुंक कर झटके से खड़ा हो गया। तभी फलाना सिंह अपने कोल्हाड़ा में आ गए, लेकिन तब तक लड़के पानी का दूसरा राउंड बैल पर फेंक चुके थे। अजी वो पानी पड़ना था और कूद फांद के बैल रस्सी तुड़ा गया। असली आफत अब शुरू हुई। बैल भागने लगा और भागते भागते दो लड़कों को पटक गया, बाकि के लड़के इधर उधर भागे कोई कहीं गिरा कोई कहीं। किसी का घुटना फूटा कोई गिरने से बचने के लिए दीवार फलांग की कोशिश करने लगा, दीवार पर चढ़ने की कोशिश में ऊपरी ईंट उखड़ कर किसी के सर पे गिरी, कोई  लड़खड़ाते हुए पनरोह में गिरा, कोई भाग के भूसे के ढेर पर चढ़ गया।  बाप रे बाप सबकी बड़ी दुर्गति हुई। फलाना सिंह खुद्दे बैल की चपेट में आने से बचे। खैर सबको उठाया पठाया गया लड़कों की सेवा श्रुषा हुई। जो अनकट थे उनको कंटाप लगाया गया। आगे के लिए सबको सख्त ताकीद की गई। जो हुआ सो हुआ लेकिन उन लड़कों की होली मेमोरेबल बन गई।

आप लोग भी उत्पात करिये लेकिन संयम में रह कर। ऐसा न हो कि होली में लेने के देने पड़ जाएं। होली मिलजुल कर ख़ुशी मनाने का त्योहार है इसे मिलजुल कर ही मनाइये।

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