औकात में रह यार, क्यों पजामे से बेबात बाहर आ रहा है। बेबजह इतना कूदेगा तो पजामा भी उतर जाएगा। अपनी औकात तो देख तेरा अपना मुल्क तुझसे सम्भल नहीं रहा है। और तू हमें मटियामेट करने की धमकी दे रहा है। ये देख बी एस एफ का कश्मीर का स्ट्राइक तुझसे सम्भल नहीं रहा है। सेना को तू कैसे झेल पाएगा। खुद दो टुकड़े होने की राह पर है यार। अपना घर सम्भाल ले, लड़ाई वड़ाई बाद में कर लेना। अपने भूखे लोगों को रोटी पानी दे उनके लिए अस्पताल की व्यवस्था कर। लड़ाई से तुझे कुछ हासिल न होगा। अब तक तू लड़ाई के बाद भी मेज पर जीत जाता था पर अब भूल जा की लड़ाई के बाद भी तू मेज पर जीत जाएगा। अब तू हारेगा भी और बर्बाद भी हो जाएगा। और ये परमाणु बम की धमकी किसी और को दिया कर यार। ये एटमी खिलौने तेरी औकात से बाहर की चीज हैं। खामखाँ इन पर अपनी एनर्जी मत वेस्ट किया कर। इसका यूज कर मिस यूज मत कर और अपने उस बुढऊ डिफेन्स मिनिस्टर और उस पगलेट राहिल को समझा फालतू की बकवासें न किया करें। अपने बच्चों को गलत इतिहास पढ़ा कर ये मुगालता न पाल ले कि पिछले युद्ध तू जीत चुका है। दिमाग में ठण्ड रख और अपने मुल्क को तरक्की के रास्ते पे ले जा। बकवासें जरा कम किया कर।
CPM
Tuesday, September 8, 2015
Saturday, February 14, 2015
वेलेंटाइन डे स्पेशल
वेलेंटाइन डे स्पेशल : अथ श्री वेलेंटाइन बाबा की कथा विशेष
लड़का - लड़की:
लगाव
झुकाव
पटियाव
घुमाव
फिराव
गिफ्टियाव
फिर
झगड़ाव
फिर
समझाव
बुझाव
नहीं बात बने तो
अलगाव
विलगाव
लगाव
झुकाव
पटियाव
घुमाव
फिराव
गिफ्टियाव
फिर
झगड़ाव
फिर
समझाव
बुझाव
नहीं बात बने तो
अलगाव
विलगाव
लड़के का परिवार ( अफेयर का पता चलने पर)
थपड़ियाव
दुनियादारी
समझाव
बुझाव
बताव
(नहीं माने तो)
लतियाव
(फिर भी नहीं माने तो)
बियाह कराव
मामला निपटाव
पैंडा छुड़ाव
थपड़ियाव
दुनियादारी
समझाव
बुझाव
बताव
(नहीं माने तो)
लतियाव
(फिर भी नहीं माने तो)
बियाह कराव
मामला निपटाव
पैंडा छुड़ाव
मजनूं पकड़ो दल विशेष : ये या तो किसी से खार खाए होते हैं या किसी से खुन्नस होती है या इनकी किसी और के साथ सेट हो गई होती है या और भी बहुत कुछ
लट्ठ को तेल पिलाव
छापामार दल बनाव
जानकारी जुटाव
रेस्तरां रेस्तरां पार्क पार्क
पहरेदार बिठाव
लपटा लपटी करते पकड़ाव
पहले कंटापियाव
फिर लतियाव
धमकाव
दो चार लट्ठ जमाव
दोनों के माता पिता बुलाव
हैण्ड ओवर कराव
छापामार दल बनाव
जानकारी जुटाव
रेस्तरां रेस्तरां पार्क पार्क
पहरेदार बिठाव
लपटा लपटी करते पकड़ाव
पहले कंटापियाव
फिर लतियाव
धमकाव
दो चार लट्ठ जमाव
दोनों के माता पिता बुलाव
हैण्ड ओवर कराव
पुलिस आ जाए तो
पहिले हड़काव
रुआब दिखाव
फिर ना माने तो
पुलिस से
एक आध
लट्ठ खाव
हाथ छुड़ाव
कोशिश कराव
और
खुदै भाग जाओ
पहिले हड़काव
रुआब दिखाव
फिर ना माने तो
पुलिस से
एक आध
लट्ठ खाव
हाथ छुड़ाव
कोशिश कराव
और
खुदै भाग जाओ
कथा विसर्जन होत है। ॐ शांतिः शांतिः शांतिः
Wednesday, October 29, 2014
धूप
दूर क्षितिज पर उगता सूरज
गुन गुन करती आती धूप
रिश्तों की गरमाइश में
तार पिरोती आती धूप
गुन गुन करती आती धूप
रिश्तों की गरमाइश में
तार पिरोती आती धूप
यहां वहां की ओछी बातें
कुछ समझी कुछ सोची बातें
कुछ छोटी कुछ मोटी बातें
कुछ उल्झी कुछ सुल्झी बातें
रिश्तों की ठंढ़ाईश में
गुन गुन जीवन लाती धूप
कुछ समझी कुछ सोची बातें
कुछ छोटी कुछ मोटी बातें
कुछ उल्झी कुछ सुल्झी बातें
रिश्तों की ठंढ़ाईश में
गुन गुन जीवन लाती धूप
चिट्ठी पत्री की बातें
मान मनौवल की बातें
खाट खटोलों की बातें
समझ सयानों की बातें
दूर हुए रिश्ते नाते
अंधकार की बदली में
जीवन नृत्य कराती धूप
मान मनौवल की बातें
खाट खटोलों की बातें
समझ सयानों की बातें
दूर हुए रिश्ते नाते
अंधकार की बदली में
जीवन नृत्य कराती धूप
सूरज अस्ताचल को जाता
धीरे धीरे जाती धूप
जीवन के गहरे अर्थों को
समझाती है, जाती धूप
जीवन की उत्तरवेला पर,
नवजीवन की राह दिखती,
चलती जाती ठंडी धूप।
धीरे धीरे जाती धूप
जीवन के गहरे अर्थों को
समझाती है, जाती धूप
जीवन की उत्तरवेला पर,
नवजीवन की राह दिखती,
चलती जाती ठंडी धूप।
नवजीवन का आशय यहाँ देहावसान के पश्चात् नया शरीर धारण करने से है।
Tuesday, July 29, 2014
समझदारी
अर्थ निरर्थक हो जाते हैं।
यदि तुम इसको ना समझो तो।।
यदि तुम इसको ना समझो तो।।
शब्द निरर्थक हो जाते हैं।
यदि तुम इसको ना जानो तो।।
यदि तुम इसको ना जानो तो।।
धर्म निरर्थक हो जाता है।
यदि तुम इसको ना मानो तो।
यदि तुम इसको ना मानो तो।
समय निरर्थक हो जाता है।
यदि तुम इसको ना आंको तो।।
यदि तुम इसको ना आंको तो।।
सीख निरर्थक हो जाती है।
यदि तुम इसको ना धारो तो।।
यदि तुम इसको ना धारो तो।।
दौर ए जहाँ
किस दौर में बैठे हैं हम।
न तुमको पता है न हमको पता है।
समय का मुसाफिर कहाँ जा रहा है।
न तुमको पता है न हमको पता है।
छिड़ी है बहस किस तरफ जा रहे हैं।
न तुमको पता है न हमको पता है।
समय की ये धारा कहाँ जा रही है।
न तुमको पता है न हमको पता है।
कहाँ से चले थे कहाँ आ गए अब।
न तुमको पता है न हमको पता है।
वो स्वर्णिम सवेरा फिर से आएगा क्या।
न तुमको पता है न हमको पता है।
राष्ट्रीय अधिकार
"थूकिये भाइयों और बहनों को सादर समर्पित"
थूक थूक थूक थूक
थूक थूक थूक थूक
थूक थूक थूक थूक
इधर थूक उधर थूक
यहाँ थूक वहां थूक
यहाँ थूक वहां थूक
जहाँ दिल करे और जहाँ मुंह भरे
वहीँ पर तू थूक
थूक थूक थूक थूक
थूक थूक थूक थूक
थूक थूक थूक थूक
ये कोने
ये सडकें
ये सरकारी बिल्डिंग
ये सुंदर से गमले
तुम्हारे लिए हैं
ये सडकें
ये सरकारी बिल्डिंग
ये सुंदर से गमले
तुम्हारे लिए हैं
जहाँ दिल करे और जहाँ मुंह भरे
वहीँ पर तू थूक
वहीँ पर तू थूक
थूक थूक थूक थूक
थूक थूक थूक थूक
थूक थूक थूक थूक
आक्थू पिचक थू के स्वरों का ये गुंजन
होठों पे सजता ये रक्ताभ चन्दन
कभी भी कहीं भी
अचानक ये आक्थू
सड़कों दीवारों पर सजती ये आक्थू
चलते मुसाफिर को कर देती हतप्रभ
होठों पे सजता ये रक्ताभ चन्दन
कभी भी कहीं भी
अचानक ये आक्थू
सड़कों दीवारों पर सजती ये आक्थू
चलते मुसाफिर को कर देती हतप्रभ
जहाँ दिल करे और जहाँ मुंह भरे
वहीँ पर तू थूक
वहीँ पर तू थूक
थूक थूक थूक थूक
थूक थूक थूक थूक
थूक थूक थूक थूक
चलते चालाते लकड़बम्ब (सुर्ती )लेके
चूना मिलाके हथेली रगड़ते
कड़क हाथों से फिर उसको फटकते
समवेत स्वरों में फिर पिचक थू के नारे लगाते
कड़क हाथों से फिर उसको फटकते
समवेत स्वरों में फिर पिचक थू के नारे लगाते
जहाँ दिल करे और जहाँ मुंह भरे
वहीँ पर तू थूक
वहीँ पर तू थूक
थूक थूक थूक थूक
थूक थूक थूक थूक
थूक थूक थूक थूक
Saturday, May 31, 2014
भगवान शिव को समर्पित
हे परम शिवम
हे नाथरूप
हे जगन्नाथ
हे महाबली
हे सत्यरूप
हे परम शिवम
हे रुद्ररूप
हे महाकाल
हे भद्ररूप
हे अभयरूप
हे परम शिवम
हे प्रेमरूप
हे शान्तरूप
हे ज्ञानरूप
हे शक्तिरूप
हे परम शिवम
हे करुणरूप
हे क्षमारूप
हे दयारूप
हे मातृरूप
हे बिंदु रूप
शिव तुम ही हो।
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