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Wednesday, March 23, 2016

होली की मस्ती

पहले किरण रिजीजू का मोदी जी के बारे में बयान कि ४०० साल पहले ही मोदी शासन की घोषणा हो चुकी थी, (नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी को कोट किया था उन्होंने ) फिर वेंकैया जी का बयान आया मोदी जी के बारे में की मोदी जी गरीबों के लिए मसीहा हैं और अब शिवराज मामा का बयान कि "मोदी जी जो करते हैं वो मनुष्य के बूते की बात नहीं " हा हा हा हा ये बयान और कुछ नहीं बल्कि विपक्षियों के साथ ही साथ भाजपा के फूफा लोगों  की  सुलगाने के लिए ही दिया गया है। होली पर होलिका तो फूंकी ही जाती है कभी कभी होलिका पर से उठी चिंगारी से आस पास खड़े लोगों की धोती में छेद हो ही जाता है।  तो जी ये बयान बस इन लोगों की धोती में छेद करने के लिए ही दिलवाए गए हैं। मोदी जी आत्ममुग्धता से दूर दिन रात काम करने वाले प्राणी हैं।

रंगों की बौछारों के बीच सत्ता के इस रंग का भी आनंद लीजिये।  खुश रहिये सुखी रहिये और अपनों के संग होली के रंग का आनंद लीजिये। 

Wednesday, November 25, 2015

देश द्रोही है,...... पक्का वाला

याद होगा PK की बंपर ओपनिंग हुई थी उसके बाद बंपर कलेक्शन।  लेकिन बाद में सुदर्शन न्यूज़ ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया था जिसमें दिखाया गया था कि लगभग ६०० सिनेमा घरों के बाहर हाउसफुल के बोर्ड लगे थे और अंदर एक भी आदमी नहीं बैठा था। कारण ?.......... अजी वही काले को सफ़ेद करने का काम। ज्ञातव्य हो भारतीय हिंदी फिल्म इंडस्ट्री हवाले की रकम को खपाने का जरिया बन चुकी है। और रकम किसकी ? ..........सब जानते हैं। तो जनाब "दंगल" तैयार है दंगल मचाने को लेकिन इसी बीच दंगल का अखाड़ा दाभोल ने खोद दिया। मने D गैंग की फंडिंग डैश डैश डैश ........ मोदी दाभोल & पार्टी ने सांप के फन पर लात रख दिया अमीरात से लेकर ब्रिटेन तक।  अब हवाले की रकम का आना जाना बंद और चंदा खोर गैंग को मरोड़ें उठनी शुरू। तो जनाब इस असहिष्णुता के पीछे के खेल को समझो।  
आज मेरे ऑफिस का मित्र बता रहा था कि कल वो PRDP अरे वही "प्रेम रतन धन पायो" देखने गया था और सिनेमा हाल में कुल ३ लोग बैठे थे। एक तरफ 300 करोड़ का कलेक्शन और दूसरी तरफ 3 लोग सिनेमा हाल में। तो भइया समझो इस खेल को और जो जो इन असहिष्णु लोगों की तरफदारी कर रहा है समझ लो पक्का देश द्रोही है, पक्का वाला। 

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झलक दिखलाओ भाईयों स्नैप डील का एप अन इंस्टॉल करके। इस भाँड़ को भी पता चले की असहिष्णुता किसे कहते हैं।
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शाहरुख़ खान का यू टर्न

शाहरुख़ खान का यू टर्न,  बोले ​- भारत को कभी नहीं बताया असहिष्णु। 
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इसी को कहा जाता है थूक के चाटना। घर घर आ के मारने वाले थे लाला ? क्या हुआ ? देख लिया ना संगठित शक्ति को। जब पेट पे लात पड़ती है ना तो बड़े बड़े घुटना टेक देते हैं लाले।  तुम किस खेत की मूली हो ? हमारा खा के हमीं पे म्याउं। पेट की आग सब करवाएगी लाले।  फिल्म रिलीज होने वाली है ना। अब देखना अपना हश्र। छोड़ना मत दोस्तों फिल्म आने वाली है इसकी, पूर्ण बहिष्कार करो इनका।  इनको इनकी औकात दिखाओ। 


#Don't let him go, still boycott his films & products.  

गदहा Vs स्नैपडील

"खेत खाए गदहा मार खाए जोलहा"  या   "खाया पीया ख़ाक नहीं, गिलास तोड़ा बारह आना".......... वाली कहावत सा हाल हो गया है स्नैपडील का। 

Monday, November 9, 2015

साधू

साधू क्यों दिमाग खराब कर रहा है, ये राजनीति के पचड़े में अपने पाँव क्यों घुसा रहा है। ये तेरा काम नहीं है। तू चल अपने काम पे। ना घर तेरा ना घर मेरा दुनिया रैन बसेरा। लेना एक न देना दो। फिर क्या घर फूंक तमाशा देखना? जीत तेरी होनी नहीं है और हार तुझे बर्दास्त नहीं। फिर क्यों हार जीत के खेल में उलझ रहा है। छोड़ ये दुनिया जी का जंजाल है। फिर क्यों दिमाग खराब कर रहा है। जब उनका गला कटेगा तब तेरा भी कट जाएगा। नई कौन सी बात होगी? चल अपनी राह। हार जीत की लालसा गृहस्थियों के काम हैं। तू चल यहाँ से.…… छोड़ देश दुनिया। चल अपनी राह। सैर कर अंतर्मन की,  मौज कर मौज में रह। चल खुसरो घर आपने…
साधो ये मुर्दों का देश....

Friday, October 23, 2015

ऑपरेशन

अंदर केबिन में बच्चा जोर जोर से चीखने लगा मम्मी मम्मी मम्मी और उसके बाद तो पूछो मत बच्चा सारा रामायण महाभारत वेद कुरआन सब बांच गया। पांच मिनट में 375 गालियां। माशाअल्लाह क्या जुबान पाई थी लौंडे ने। कमाल था। ठेठ गांव का छोरा। बित्ते भर का छोरा और गज भर की जुबान यहीं देख रहा था। लेकिन महाशय जब अपने पर बीतती है तभी असल समझ में आता है। सारी अकलियत, शराफत, नफासत और नजाकत धरी की धरी रह जाती है और बन्दे में वही ठेठ देशी गंवई माटी की महक आने लगती है। और अगला सारी पढ़ाई लिखाई किनारे रख, जितना याद है सब एक सांस में सुनाने लगता है। और याद भी क्या क्या है..... आए हाए हाए हाए.....सब नजर आने लगता है। सात पर्दों में छुपी शराफत की नकाब जब उतरती है तो बस अल्लाह कसम जी करता है कच्चे धागे से गला घोंट दें। अगले का हाल देख के मेरी तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गई थी। वैसे तो हम फेसबुक पर रोज ही खून खच्चर करते रहते हैं। ये कर दूंगा वो कर दूंगा ब्ला ब्ला ब्ला लेकिन उस समय काटो तो खून नहीं वाला हाल था। बच्चा अभी गालियां ही दे रहा था उसका बाप उसे गोद में उठाए हुए बाहर ला रहा था। अपना तो जिया धड़क धड़क जाए वाला हाल हो रहा था। तभी केबिन से आवाज आई नेक्स्ट। आइला मेरा नम्बर। अपन पसीने पसीने हो गए याद ही नहीं था कब आखिरी सुई लगी थी। साथी ने धकियाया चलो ना, खैर जी कड़ा करके टेढ़े टेढ़े आगे बढ़े। क्या हुआ है? जी फुंसी है ...... साला फोड़े को फुंसी बोल दिए..... कहाँ है? अड्डा बताया। अगले ने फरमाया लेट जाओ ये करो वो करो...... किया सब जो वो बोलता गया। और करता भी क्या? मजबूरी थी दवाइयों के काबू के बाहर जा चुकी थी बात। बस जी अगले ने सीधी टेढ़ी बांकी सारी तरह की कैंचियां सामने रख दीं। उसके असलहे देख के और पिछले वाले का हाल देख के अपना तो खून जम गया। अगला थोड़ी देर तो घाव को ग्लब्स पहने हाथ से छू छा कर देखा फिर तो हमारे मुँह से "आए याये याये याये" की आवाज ही निकली। भोवइ वाले ने पिछले मरीज की खुन्नस भी मेरे ही घाव पर निकाल दी थी। इतनी जोर से दबा रहा था कि मेरी तो जान ही निकल गई एक मिनट भी नहीं लगा होगा और दिन में तारे नजर आने लगे थे। खैर जो माल मटेरियल निकला था सब पोंछ पांछ कर फिर वो टेढ़ी वाली कैंची में रुई फंसा कर लाल दवा में डुबोया और फिर....... ......जयकारा शेरा वाली दा.... आए याये याये याये की आवाज की जगह .... उ हू हू हू हू बस बस बस। दस पन्द्रह सेकेण्ड में ही अगले ने सारी हेकड़ी बाहर ला दी। उसके बाद अगले ने बमुश्किल 30 सेकेण्ड में टेप टाप लगा के मरहम पट्टी कर दी और बोला हो गया चलो जाओ। उस समय तो वही मरीज वाली टेबल ही डनलप का गद्दा लग रही थी। दिल कर रहा था थोड़ी देर वहीं लेटा रहूँ लेकिन हिम्मत मार के उठा और मन ही मन उस लौंडे से दुगनी ज्यादा गालियां देता टेढ़े टेढ़े बाहर आ गया। लिखी हुई दवाइयाँ ली हिदायत पूछी अगली ड्रेसिंग का दिन पूछा और बैक टू पैवेलियन। साथी भी ससुरा पूरा पाजी सीधे सीधे रास्ते के बजाए गड्ढे गड्ढे गाड़ी चला रहा था गचकी दे के और दुखा रहा था।
डक्टरवो ससुरे पूरे बदमास होते हैं, अरे यार फोड़ा फुंसी देख के धीरे से दबाओ, अगले को पहले से ही दुःख रहा है। लेकिन नहीं, चेकअप करते समय ही ससुरे मजा लेते हैं फोड़वा को और जोर से दबा देते हैं भोवइ वाले। जब मरीज से "आए याये याये याये" की आवाज न निकलवा लें तब तक उनको भी चैन नहीं पड़ता है।
खैर 4 दिन से राम भजो हित नाथ तुम्हारा गा गा के काम चल रहा है कल अगली ड्रेसिंग का दिन है। हुआ क्या है कि "बम" पे "ऐटम बम" निकल गया है। "ऐटम बम" नहीं समझे? फुंसी यार। वहीं "उसी जगह" वही अंजन की सीटी से म्हारा "बम" डोले वाले "बम" पे। हंसो मत यार।
फलाने Raj Yadav और बड़के डाक्साब Vivek Giri जी क्षमा करियेगा। का करें एतना जोर से दबाए हैं की आशीर्वाद तो इकल नहीं रहा है।